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क्या ₹5 का सिक्का हो गया बंद? RBI के नए अपडेट से मचा हड़कंप RBI 5 Rupees Coin News

RBI 5 Rupees Coin News: भारत में सिक्कों और नोटों का चलन हमेशा से लोगों के जीवन का अहम हिस्सा रहा है। लेकिन हाल ही में एक खबर ने सभी का ध्यान खींचा है—भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ₹5 के सिक्कों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोरों पर है कि ₹5 के पुराने मोटे सिक्कों को बंद कर दिया गया है। अगर आपके पास भी такі सिक्के पड़े हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। आखिर क्यों लिया गया यह फैसला? क्या है इसके पीछे की कहानी? चलिए, इस लेख में हम इस विषय को विस्तार से समझते हैं और आपको हर पहलू से अवगत कराते हैं।

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वर्तमान समय में भारतीय बाजार में ₹1 से लेकर ₹20 तक के सिक्के प्रचलन में हैं। इसके अलावा ₹1 से ₹500 तक के नोट भी हमारी जेब का हिस्सा हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से लोगों ने गौर किया है कि ₹5 के पुराने मोटे सिक्के बाजार में कम ही नजर आते हैं। उनकी जगह पीतल के पतले ₹5 के सिक्के ने ले ली है। यह बदलाव कोई संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति और गंभीर कारण हैं। RBI और सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है, जिसका प्रभाव अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है।

₹5 के सिक्के की घटती मौजूदगी का रहस्य

पिछले कुछ सालों में आपने शायद नोटिस किया होगा कि ₹5 के पुराने मोटे सिक्के अब पहले की तरह आसानी से दिखाई नहीं देते। पहले ये सिक्के अपनी मोटाई और वजन की वजह से अलग पहचान रखते थे, लेकिन अब ये धीरे-धीरे गायब हो गए हैं। इसका कारण यह है कि RBI ने इन सिक्कों का उत्पादन बंद कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? दरअसल, इस फैसले के पीछे की कहानी भारत से बाहर, खास तौर पर बांग्लादेश से जुड़ी है।

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इन पुराने ₹5 के सिक्कों में धातु की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि उनकी कीमत सिक्के पर लिखी कीमत से कहीं अधिक हो जाती थी। इसका फायदा उठाते हुए कुछ लोग इन सिक्कों को अवैध रूप से बांग्लादेश भेजने लगे। वहां इन्हें पिघलाकर रेजर ब्लेड बनाए जाने लगे। एक सिक्के से करीब 6 ब्लेड तैयार हो जाते थे, और हर ब्लेड की कीमत ₹2 होती थी। यानी ₹5 का सिक्का बांग्लादेश में ₹12 की कमाई करा रहा था। यह गैरकानूनी कारोबार इतना बढ़ गया कि भारत में इन सिक्कों की कमी होने लगी।

सिक्कों की वैल्यू: सरफेस बनाम मेटल

हर सिक्के की दो तरह की कीमत होती है—एक तो वह जो उस पर लिखी होती है, जिसे सरफेस वैल्यू कहते हैं, और दूसरी वह जो उसकी धातु की कीमत होती है, जिसे मेटल वैल्यू कहते हैं। ₹5 के पुराने सिक्कों की खासियत यह थी कि इनकी मेटल वैल्यू, पिघलाने के बाद, सरफेस वैल्यू से कहीं ज्यादा हो जाती थी। यही वजह थी कि इनका दुरुपयोग शुरू हुआ। बांग्लादेश में इन सिक्कों को पिघलाकर ब्लेड बनाने का धंधा चल पड़ा, जिससे न सिर्फ भारत को आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि सिक्कों की उपलब्धता भी प्रभावित हुई।

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इस समस्या को देखते हुए RBI और सरकार को सख्त कदम उठाना पड़ा। पुराने सिक्कों की जगह नए पतले सिक्के लाए गए, जिनमें धातु की मात्रा कम की गई और सस्ते मिश्रण का इस्तेमाल किया गया। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि सिक्कों को पिघलाने से कोई खास मुनाफा न हो, और गैरकानूनी कारोबार पर लगाम लग सके।

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RBI का बड़ा कदम और नए सिक्कों का आगमन

जब सरकार को इस अवैध कारोबार की जानकारी मिली, तो तुरंत जांच शुरू हुई। पता चला कि ₹5 के सिक्कों की कमी का कारण उनका बांग्लादेश में दुरुपयोग है। इसके बाद RBI ने न सिर्फ इन सिक्कों का उत्पादन बंद किया, बल्कि नए सिक्कों के डिजाइन और धातु में भी बदलाव किया। नए ₹5 के सिक्के पतले और हल्के हैं, और इनमें ऐसी धातु का इस्तेमाल किया गया है, जो पिघलाने पर ज्यादा कीमत न दे सके। इस कदम से न केवल सिक्कों की तस्करी रुकी, बल्कि भारतीय बाजार में करेंसी की स्थिरता भी बनी रही।

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हालांकि, पुराने ₹5 के सिक्के अभी भी लीगल टेंडर हैं, यानी इन्हें खरीद-फरोख्त में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इनका उत्पादन बंद होने की वजह से ये धीरे-धीरे बाजार से बाहर हो रहे हैं। अब पीतल के पतले सिक्के ही ज्यादातर देखने को मिलते हैं, जो नए डिजाइन और कम मेटल वैल्यू के साथ तैयार किए गए हैं।

वैसे, यह पहली बार नहीं है जब RBI को सिक्कों या नोटों को लेकर बड़ा फैसला लेना पड़ा हो। पहले भी कई बार आर्थिक स्थिरता और गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसे कदम उठाए गए हैं। मसलन, छोटे मूल्य के सिक्के जैसे 25 पैसे को भी प्रचलन से हटाया जा चुका है। लेकिन ₹5 के सिक्के की कहानी अपने आप में अनोखी है, क्योंकि यह भारत से बाहर की समस्या से जुड़ी थी।

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आज की स्थिति और भविष्य

आज के समय में ₹5 के नए सिक्के बाजार में पूरी तरह से छाए हुए हैं। ये सिक्के न सिर्फ हल्के और पतले हैं, बल्कि इनका डिजाइन भी आधुनिक है। सरकार और RBI का यह फैसला न केवल आर्थिक नुकसान को रोकने में कारगर साबित हुआ, बल्कि सिक्कों की उपलब्धता को भी सुनिश्चित कर रहा है। हालांकि, कुछ लोगों के मन में सवाल हो सकता है कि क्या पुराने सिक्के अब बेकार हो गए हैं? इसका जवाब है—नहीं। ये सिक्के अभी भी वैध हैं और इन्हें आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके अलावा, यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि करेंसी का दुरुपयोग कितने अनोखे तरीकों से हो सकता है। सरकार और RBI की सतर्कता ने इस समस्या का समाधान तो कर दिया, लेकिन भविष्य में भी ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। नए सिक्कों के साथ तकनीकी बदलाव और बेहतर निगरानी इस दिशा में अहम कदम हो सकते हैं।

निष्कर्ष

₹5 के सिक्कों को लेकर RBI का यह फैसला न सिर्फ एक आर्थिक कदम था, बल्कि देश की करेंसी को सुरक्षित रखने की दिशा में एक बड़ी पहल भी थी। पुराने मोटे सिक्कों का गायब होना और नए पतले सिक्कों का आना इस बात का सबूत है कि सरकार और RBI हर स्थिति पर नजर रखते हैं। अगर आपके पास अभी भी पुराने ₹5 के सिक्के हैं, तो चिंता न करें, वे अभी भी मान्य हैं। लेकिन उनकी कहानी जरूर रोचक है, जो भारत से बांग्लादेश तक की यात्रा को बयां करती है।

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आप इस बदलाव के बारे में क्या सोचते हैं? क्या आपको भी पुराने सिक्कों की कमी खटकी थी? अपने विचार हमारे साथ जरूर साझा करें। साथ ही, ऐसी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करना न भूलें!

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