TRAI: भारत में टेलीकॉम सेवाएं आम उपभोक्ताओं के लिए जरूरी हो गई हैं, लेकिन हाल ही में TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के निर्देशों के बावजूद वॉयस पैक की कीमतों में कोई कमी नहीं आई है। टेलीकॉम कंपनियों ने अपने प्लान में बदलाव जरूर किए हैं, लेकिन इसका फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा। खासकर 2G यूजर्स और वे उपभोक्ता जो वॉयस कॉल और SMS के लिए सिम का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें निराशा हाथ लगी है।
वॉयस पैक: ट्राई के निर्देशों का उद्देश्य क्या था?
TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों को यह निर्देश दिया था कि वे ऐसे सस्ते वॉयस पैक लॉन्च करें, जो उन ग्राहकों के लिए उपयुक्त हों जिन्हें सिर्फ कॉलिंग और SMS की जरूरत होती है। यह कदम खास तौर पर 2G यूजर्स और दो सिम कार्ड उपयोग करने वालों के लिए था, जिनके लिए महंगे डेटा प्लान का कोई उपयोग नहीं है। ट्राई का उद्देश्य यह था कि इन पैक्स की कीमतें कम हों, ताकि अधिक से अधिक उपभोक्ता इसका लाभ उठा सकें।
कंपनियों ने कैसे किया निर्देशों की अनदेखी?
हालांकि, ट्राई के इस निर्देश को टेलीकॉम कंपनियों ने सही तरीके से लागू नहीं किया। उदाहरण के तौर पर:
- एयरटेल ने अपना सालाना प्लान ₹1999 में ऑफर किया था, जिसमें पहले 24 GB डेटा और वॉयस कॉल शामिल थे। लेकिन अब उसी प्लान से डेटा हटा दिया गया है और इसे केवल वॉयस पैक के रूप में पेश किया जा रहा है।
- अगर उपभोक्ता को डेटा चाहिए, तो उसे अलग से डेटा पैक का रिचार्ज करना होगा।
- TRAI के सस्ते प्लान देने की मंशा को इन कंपनियों ने नजरअंदाज कर दिया है और उपभोक्ता को अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है।
2G यूजर्स पर इसका असर
भारत में अब भी लगभग 15 करोड़ 2G यूजर्स हैं, जो कम कीमत वाले प्लान्स की तलाश में रहते हैं। ये उपभोक्ता मुख्यतः वॉयस कॉल और SMS के लिए सिम कार्ड का उपयोग करते हैं।
- उन्हें महंगे प्लान्स खरीदने पड़ते हैं, जिनमें डेटा भी शामिल होता है जिसका उनके लिए कोई उपयोग नहीं है।
- TRAI की मंशा थी कि इन उपभोक्ताओं को डाटा-रहित प्लान्स सस्ते दामों में उपलब्ध कराए जाएं, लेकिन कंपनियों ने इसके बजाय केवल वॉयस पैक को महंगा बना दिया है।
Jio क्यों नहीं है इस बहस का हिस्सा?
इस विवाद में Jio का नाम नहीं आ रहा, क्योंकि Jio केवल 4G और 5G सेवाएं प्रदान करता है और उसके प्लान्स में सभी सेवाएं (डेटा, वॉयस कॉल, और SMS) शामिल होती हैं। दूसरी ओर, Airtel और Vi अभी भी 2G सेवाएं दे रहे हैं और इन्हीं कंपनियों को TRAI के निर्देशों का पालन करना था।
उपभोक्ता को कैसे पड़ रहा है यह महंगा?
वर्तमान स्थिति में, वॉयस पैक महंगा होने के कारण उपभोक्ताओं को:
- अलग से डेटा पैक खरीदने का खर्च उठाना पड़ रहा है।
- उन्हें वॉयस कॉल के लिए भी अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है।
- सस्ते वॉयस पैक की जगह कंपनियां महंगे प्लान्स का विकल्प दे रही हैं।
क्या है टेलीकॉम कंपनियों का तर्क?
टेलीकॉम कंपनियां इस बदलाव को “तकनीकी समस्या” बता रही हैं। एयरटेल के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा कोई सस्ता वॉयस प्लान उपलब्ध नहीं है और इसे उनकी वेबसाइट से भी हटा दिया गया है। हालांकि, यह कंपनियों की तरफ से उपभोक्ता हितों की अनदेखी का संकेत देता है।
TRAI के निर्देश और पारदर्शिता की कमी
TRAI का उद्देश्य 2G उपभोक्ताओं और सस्ते प्लान चाहने वालों को राहत प्रदान करना था, लेकिन कंपनियों ने इस योजना का फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचने नहीं दिया।
- सस्ते वॉयस पैक का वादा सिर्फ कागजों पर रह गया।
- कंपनियों ने इसे “महंगे वॉयस प्लान्स” में बदल दिया, जिससे उपभोक्ता को अधिक खर्च करना पड़ रहा है।
- पारदर्शिता की कमी ने उपभोक्ता के विश्वास को भी प्रभावित किया है।
समाधान की दिशा में क्या हो सकता है?
- TRAI को सख्ती से इन निर्देशों को लागू कराना होगा।
- उपभोक्ताओं को सस्ते वॉयस प्लान्स का लाभ दिलाने के लिए निगरानी बढ़ानी होगी।
- कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने प्लान्स को उपभोक्ता हित में पेश करें।
निष्कर्ष
टेलीकॉम कंपनियों ने TRAI के निर्देशों की अनदेखी कर वॉयस पैक को सस्ता बनाने के बजाय महंगा कर दिया है। इससे उपभोक्ताओं, खासकर 2G उपयोगकर्ताओं को अधिक खर्च करना पड़ रहा है। यह स्थिति उन उपभोक्ताओं के लिए नुकसानदायक है, जो केवल वॉयस कॉल और SMS का उपयोग करना चाहते हैं। अब जरूरत है कि TRAI इस दिशा में सख्त कदम उठाए और उपभोक्ताओं के लिए सस्ते और लाभदायक प्लान्स को उपलब्ध कराए।
अगर आप भी इस स्थिति से प्रभावित हैं, तो TRAI के हेल्पलाइन पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं और इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाने में मदद करें।