RBI new CIBIL score rules: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सिबिल स्कोर से जुड़ी समस्याओं को दूर करने और उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए नए और कड़े नियम लागू किए हैं। ये नियम 26 तारीख से प्रभावी हो चुके हैं और इसका उद्देश्य क्रेडिट स्कोर से जुड़ी शिकायतों का निपटारा करना, पारदर्शिता बढ़ाना और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना है। आइए विस्तार से जानते हैं इन नियमों के बारे में।
सिबिल स्कोर में पारदर्शिता लाने के लिए उठाए गए कदम
सिबिल स्कोर किसी भी व्यक्ति के वित्तीय स्वास्थ्य का मापक होता है, जो लोन या क्रेडिट कार्ड जैसे वित्तीय उत्पादों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन हाल के वर्षों में उपभोक्ताओं की शिकायतें बढ़ी हैं कि उनकी क्रेडिट रिपोर्ट में त्रुटियां हैं या उन्हें सही जानकारी नहीं दी जाती। इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने क्रेडिट ब्यूरो और वित्तीय संस्थानों के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
CIBIL जांच की सूचना देना अनिवार्य
आरबीआई के नए नियमों के तहत, जब भी कोई बैंक या नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) किसी उपभोक्ता की क्रेडिट रिपोर्ट या सिबिल स्कोर की जांच करती है, तो इसकी जानकारी उपभोक्ता को देनी होगी। यह सूचना एसएमएस या ईमेल के माध्यम से दी जा सकती है। इसका उद्देश्य है कि उपभोक्ता को अपने क्रेडिट स्कोर की जांच के बारे में पारदर्शिता और जागरूकता हो।
अर्जी खारिज करने की वजह बताना होगा
अगर किसी उपभोक्ता की क्रेडिट अर्जी खारिज की जाती है, तो बैंक या वित्तीय संस्था को इसकी स्पष्ट वजह बतानी होगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि उपभोक्ता अपनी गलतियों को सुधार सके और भविष्य में बेहतर तैयारी के साथ वित्तीय संस्थानों से संपर्क कर सके।
वर्ष में एक बार फ्री क्रेडिट रिपोर्ट की सुविधा
आरबीआई ने क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे हर उपभोक्ता को साल में एक बार फ्री फुल क्रेडिट रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। इसके लिए कंपनियां अपनी वेबसाइट पर एक लिंक प्रदान करेंगी, जहां उपभोक्ता अपनी रिपोर्ट को जांच सकते हैं। यह सुविधा उपभोक्ताओं को अपनी क्रेडिट स्थिति समझने और उसमें सुधार करने का मौका देगी।
लोन डिफॉल्ट रिपोर्टिंग से पहले जानकारी देना होगा
अगर किसी उपभोक्ता को डिफॉल्टर घोषित करना है, तो पहले उसे सूचित करना अनिवार्य होगा। यह कदम उपभोक्ता को अपनी स्थिति को सुधारने का एक और मौका देने के लिए उठाया गया है। इसके अलावा, बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रेडिट स्कोर से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं।
30 दिन के भीतर शिकायत निपटान अनिवार्य
आरबीआई ने क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे उपभोक्ता की शिकायत का निपटारा 30 दिनों के भीतर करें। अगर यह समय सीमा पार होती है, तो कंपनी पर हर दिन 100 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। लोन उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं को 21 दिन और क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का समय दिया गया है। अगर ये समय सीमा पार होती है, तो संबंधित संस्था पर हर्जाना लागू किया जाएगा।
नए नियमों का उपभोक्ताओं और क्रेडिट संस्थानों पर प्रभाव
उपभोक्ताओं के लिए फायदे:
- क्रेडिट रिपोर्ट में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- फ्री क्रेडिट रिपोर्ट से वित्तीय स्थिति समझने में आसानी होगी।
- शिकायत निपटान में तेजी आएगी।
- अर्जी खारिज होने पर स्पष्ट कारण मिलने से सुधार के मौके बढ़ेंगे।
क्रेडिट संस्थानों पर प्रभाव:
- पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं में बदलाव करना होगा।
- शिकायतों का समयबद्ध निपटान सुनिश्चित करना होगा।
- उपभोक्ताओं को सूचित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।
निष्कर्ष
आरबीआई के इन नए नियमों का उद्देश्य सिबिल स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट से जुड़ी समस्याओं को दूर करना और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करना है। ये कदम न केवल वित्तीय संस्थानों और उपभोक्ताओं के बीच पारदर्शिता बढ़ाएंगे, बल्कि भारतीय वित्तीय प्रणाली को भी अधिक मजबूत और भरोसेमंद बनाएंगे।
अगर आप भी अपनी क्रेडिट रिपोर्ट में सुधार चाहते हैं या सिबिल स्कोर से जुड़ी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इन नियमों का लाभ उठाएं और अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाएं।